नहीं रहे महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी

उस्ताद जाकिर हुसैन जी का अमेरिका में सोमवार को सुबह हुआ निधन।


जन्म : 09 मार्च, 1951, मुम्बई        

निधन : 16 दिसम्बर, 2024, सैन फ्रांसिस्को 

                     


     भारतीय शास्त्रीय संगीत को दुनिया भर में पहचान दिलाने वाले महान तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन जी का अमेरिका में सोमवार सुबह 5:30 बजे देहांत हो गया। वे पिछले दो हफ्ते से फेफड़े संबंधी समस्या 'इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' के कारण अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को के अस्पताल में भर्ती थे। आपको बता दे की 'इडियोपेथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस' फेफड़ों की एक दुर्लभ बीमारी है जिसका इलाज फेफड़े का प्रत्यारोपण करके ही संभव हो सकता है।

  उस्ताद जाकिर हुसैन की बहन खुर्शीद औलिया ने सोमवार को उनके भाई के देहांत की सूचना दी और कहा कि "वे वेंटिलेटर पर थे और वेंटीलेटर बंद होने के बाद ही उन्होंने अंतिम सांस सुकून की ली।"


       उस्ताद जाकिर हुसैन जी का जन्म मुंबई में हुआ था। उनके पिताजी का नाम उस्ताद अल्ला रक्खा है, जो खुद भी तबला वादन में उस्ताद रहे थे। जाकिर हुसैन जी को तबला वादन की कला अपने पिताजी से ही विरासत में मिली थी।

वे 3 साल की उम्र से ही थाप तथा अंगुलियों की थिरकन की कला से तबला वादन करने लग गए थे।

     जाकिर हुसैन जी की शादी इतावली कथक नृत्यांगना एंटोनिया जी से सन 1978 में हुई थी जिससे उन्हें दो बेटियां इसाबेला और अनीसा प्राप्त हुई। जाकिर हुसैन जी को इसी साल फरवरी महीने में 3 ग्रैमी अवार्ड मिले थे। उन्होंने अपने जीवन काल में संगीत का ऑस्कर कहे जाने वाले 5 ग्रैमी अवार्ड जीते हैं। इसके अलावा ज़ाकिर हुसैन को कला के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए भारतीय सरकार द्वारा सन् 1988 में पद्मश्री और सन् 2002 में पद्म भूषण से भी सम्मानित किया गया था।


भारतीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने भी उन्हें X पर श्रद्धांजलि व्यक्त करते हुए कहा कि 

 “ उस्ताद जाकिर हुसैन जी को भारतीय शास्त्रीय संगीत की दुनिया में अद्भुत क्रांति लाने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उन्होंने भारतीय शास्त्रीय विरासत को विश्व संगीत से जोड़ा। वे सच्चे जीनियस थे। ” 


 

मानव के जन्म और मरण के इस जीवन चक्कर के बारे में और अधिक जानकारी के लिए आप हमारे अन्य आर्टिकल अवश्य पढे़।

Comments

  1. भारतीय संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने वाले उस्ताद जाकिर हुसैन जी का देहांत संगीत जगत के लिए अपूरणीय क्षति है। उनकी अद्भुत प्रतिभा और योगदान को सदैव याद किया जाएगा।

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  2. उस्ताद जाकिर हुसैन जी ने भारतीय शास्त्रीय संगीत को वैश्विक मंच पर जो पहचान दिलाई, वह असाधारण है। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनी रहेगी।

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  3. भारतीय संगीत को बहुत ही बड़ी क्षती हुई है

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  4. जाकिर हुसैन तबला वादन में बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे

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