पूर्ण संत की पहचान

संत रामपाल जी महाराज (धरती पर अवतार)

जैसा कि समस्त भविष्य वक्ताओं की वर्तमान समय के लिए की गई भविष्यवाणियों से स्वतः स्पष्ट है कि 

वह महापुरुष जो जीव उद्धार के लिये अवतरित हुए हैं वे कोई और नहीं बल्कि 'संत रामपाल जी महाराज' ही है!



संत रामपाल जी महाराज ही विश्व में एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों, वेदों, गीता जी, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहेब जी में वर्णित साधना को स्वयं भी कर रहे है और अपने अनुयायियों से भी करवा रहे हैं!

संत जी स्वयं भी इस बात को काफी बार कह चुके है कि अगर पुरा विश्व भी उन से नाम उपदेश ले कर उनके द्वारा बतायी जा रही सत भक्ति मर्यादा में रह कर करे तो सम्पूर्ण विश्व का भी कल्याण होगा और मोक्ष प्राप्त होगा!

तो आइए आज हम जानते हैं संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा समाज सुधार में विशेष योगदान और उनके द्वारा करवाये जा रहे पवित्र कार्य!

संत जी नाम उपदेश लेने हेतु कुछ विशेष नियमों की पालना करनी होती है! ये नियम मानव समाज के चरित्र निर्माण और सामाजिक दृष्टि से अति आवश्यक भी हैं 👇

"जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा ।
हिन्दु मुसलिम सिक्ख ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा ।।“

"हुक्का, शराब, बीयर, तम्बाखु, बीड़ी, सिगरेट, हुलास सुंघना, गुटखा, मांस, अण्डा, सुल्फा, अफीम, गांजा और अन्य नशीली चीजों का सेवन तो दूर रहा किसी को नशीली वस्तु लाकर भी नहीं देनी है।"

संत जी से जुड़े हुए श्रध्दालु नशा करना तो दूर नशे को छुते तक नहीं हैं!

जो कि आज के बिगड़ते हुए समाज के लिये बहुत ही कल्याणकारी नियम है! 


"पराई स्त्री को माँ–बेटी–बहन की दृष्टि से देखना चाहिए। व्याभीचार महापाप है।" 

ये नियम समाज में स्त्रियों के प्रति सम्मान की भावना को दर्शाता है और स्त्रियों को पुरूषों के बराबर का दर्जा दिलाता हैं!


"अण्डा व मांस भक्षण व जीव हिंसा नहीं करनी है। यह महा पाप होता है।"

क्योंकि सभी जीवों में आत्मा निवास करती हैं और सभी जीव एक ही परमात्मा द्वारा उत्पत्तित संताने हैं, तो जीव हत्या करने से वो परमात्मा भी उतने ही दुखी होते हैं, जितने हम अपने किसी प्रियजन के मरने पर होते हैं!


"जुआ–तास कभी नहीं खेलना चाहिए।"

क्योंकि ये बुरे ऐब होते हैं और एक बार लत लग जाये तो महाभारत के पांडवों की भाँति जमीन जायदाद तक बेचने की नौबत आ जाती हैं!


"छूआछात निषेध"

हम सब एक मलिक के बंदे हैं। भगवान ने किसी भी जाति या मज़हब के स्त्री पुरुषों में कोई अंतर नहीं किया तो हम क्यूँ करें? 


"दहेज लेना तथा देना निषेध"

संत रामपाल जी महाराज के अनुसार दहेज लेना व देना कुरीति है तथा मानव मात्र की अशांति का कारण है। उपदेशी के लिए मना है। जिसने अपने कलेजे की कोर पुत्री को दे दिया फिर बाकी क्या रहा?


"भ्रष्टाचार एवं रिश्वतखोरी महापाप है "

संत जी के शिष्य कभी भी भ्रष्टाचार को न तो होने देते हैं और न ही स्वयं ही करते हैं!

रिश्वत कोई नहीं लेता हैं और न ही रिश्वत देकर काम करवाते हैं!

इस के अतिरिक्त भी संत जी के शिष्य कोरोना महामारी के संकट में भी अपने मानव धर्म से पिछे नहीं हट रहे हैं और बढ चढ कर सहयोग कर रहे हैं जैसे

"भूखे व्यक्ति के लिए अन्न देव की वह महिमा है जिसकी तुलना हीरा से भी नहीं की जा सकती।"

कोरोना महामारी के संकट में संत रामपाल जी महाराज के अनुयायी बढ़चढ़ कर, कर रहे हैं अन्न का दान।

संत रामपाल जी महाराज जी के शिष्य वर्तमान परिस्थितियों में असहाय लोगों की मदद कर रहे हैं, उन तक भोजन पहुंचा रहे हैं।

हमें आज समझना होगा सब अपने भाई बहन हैं।

इसलिए आपके आसपास कोई भूखा ना सोए।

इस बात को ध्यान में रखते हुए संत रामपाल जी महाराज के आशीर्वाद से बहुत से सरकारी और गैर सरकारी संस्थाओं को भंडारे के समान द्वारा मदद की जा रही है।




इन सब बातों से लगता हैं कि संत जी ही है जो स्वस्थ और विकार रहित समाज का निर्माण करवा रहे हैं!


संत जी के सत्संग सुनने से भी सुख की अनुभूति होती हैं

अतः आप सभी से करबध निवेदन है कि आप भी एक बार संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुने 👏


अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखे 'साधना' चैनल शाम 7:30 बजे से!

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