कबीर साहेब जी 'पूर्ण परमात्मा' या साधारण कवि

आज हम बात करते हैं 600 वर्ष पहले आये कबीर साहेब जी की ।

जी हाँ वही कबीर साहेब जो पूर्ण परमात्मा ही हैं और अपने तेजोमय शरीर को हल्का कर के इस पृथ्वी लोक पर काशी शहर के लहरतारा तलाब में कमल के फूल पर शिशु रूप में अवतरित हुए थे।

और काशी के ही निरू और निमा नामक ब्राह्मण दम्पति को मिले थे तथा इसी दम्पति ने कबीर जी का पालन पोषण किया।


कबीर जी ने युवा अवस्था में दिल्ली के सुलतान सिकंदर लोदी का असहनीय जलन का रोग ठीक किया था और सिकंदर क समक्ष ही रामानंद जी महाराज के दो टुकड़े हुए शरीर को पुनः जीवित किया था।

जिस कारण से सिकंदर लोदी भी कबीर साहेब के शिष्य बन गये थे।

परन्तु इस कारण से सिकंदर के मुस्लिम धर्म गुरु शेखतकी कबीर साहेब से ईर्ष्या करने लगे और कबीर जी को नीचा दिखाने के लिये 52 बार कबीर जी को जान से मार देने वाली परीक्षायें ली।

शेखतकी द्वारा कबीर साहेब को दिये गये प्रमुख कष्ट 👇👇
  

"शेखतकी द्वारा कबीर साहेब को गहरे कुँए में डालना"

शेखतकी ने कबीर साहेब को बांध कर गहरे कुँए में डाल दिया।

ऊपर से मिट्टी, ईंट और पत्थर से कुँए को पूरा भर दिया।

फिर शेखतकी सिकन्दर राजा के पास गया वहां जाकर देखा तो कबीर परमेश्वर पहले से ही विराजमान थे। 



दिल्ली के सम्राट सिकंदर लोधी ने जनता को शांत करने के लिए अपने हाथों से कबीर जी को हथकड़ियाँ लगाई,

पैरों में बेड़ी, गले में लोहे की भारी बेल डाली

आदेश दिया गंगा दरिया में डुबोकर मारने का। 

उनको दरिया में फैंक दिया।

परन्तु कबीर जी को कुछ भी नहीं हुआ। 




पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही अविनाशी है।

शेखतकी जैसे दुष्ट के लाख प्रयत्न करने के बावजूद भी परमात्मा ज्यों के ज्यों सुरक्षित रहे।

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कबीर जी ही पूर्ण परमात्मा है और उनकी कभी जन्म मृत्यु नहीं होती है।

"हम ही अलख अल्लाह है कुतुम गोश् और पीर, गरीबदास खालिक धनी हमरा नाम  कबीर!!"




कबीर परमेश्वर को मारने की व्यर्थ चेष्टा में शेखतकी ने सिकंदर लोधी से कहा कि 

कबीर जी को खूनी हाथी के आगे डाल कर कुचलवा दो। 

कबीर परमेश्वर ने बब्बर शेर का रूप दिखाया खूनी हाथ डर के मारे लिंद कर भागा।




सिकंदर लोधी के धार्मिक पीर शेखतकी की साज़िश थी कबीर जी को उबलते तेल में डालकर मारने की

लेकिन परमात्मा कबीर जी उस उबलते तेल में जाकर बहुत आराम से बैठ गए और फिर से शेखतकी की साज़िश नाकाम रही।



कबीर जी को मारने के लिए शेखतकी के आदेश पर पहले पत्थर मारे, फिर तीर मारे।

परन्तु परमेश्वर की ओर पत्थर या तीर नहीं आया। 


फिर चार पहर तक तोप यंत्र से गोले चलाए गए।

लेकिन दुष्ट लोग अविनाशी कबीर जी का कुछ नहीं बिगाड़ सके।


पूर्ण परमात्मा की मृत्यु नहीं होती है और ना ही कोई उन्हें मार सकता है वह अजर अमर होते हैं। 

और पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ही है।


इस प्रकार और भी अनेक कष्ट कबीर जी को दिये गये परन्तु कबीर साहेब का तो बाल भी बाँका नही हुआ।

तो काफी जाँच पड़ताल के बाद हमने पाया कि 👇

वर्तमान समय में केवल और केवल संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान उपदेश को सुन कर और उनके द्वारा बताये जा रहे भक्ति मार्ग पर चल कर ही कबीर साहेब जी द्वारा अफनी वाणी में वर्णित सतलोक को पाया जा सकता हैं।

संत रामपाल जी महाराज ही विश्व में एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों, वेदों, गीता जी, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहेब जी में वर्णित साधना को स्वयं भी कर रहे है और अपने अनुयायियों से भी करवा रहे हैं।



आप पूर्ण संत की पहचान स्वयं भी कर सकते हैं 



अतः आप सभी से करबध निवेदन है कि आप भी एक बार संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुने 👏


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