BIBLE (बाइबिल : एक रहस्य)

आज हम जिस विषय पर बात करने वाले है वो बहुत ही संवेदनशील ओर धार्मिक विषय है! 

जहाँ धर्म की बात हो तो वहाँ संवेदनाएँ अपने आप जुड़ जाती हैं!

आज हम बात करते है ईसाई धर्म के पवित्र ग्रंथ 'पवित्र बाईबिल' के बारे में! 

क्योंकि अगर हमें किसी भी धर्म की गहराइयों को जानना है तो सब से अच्छा माध्यम है उस धर्म की पवित्र पुस्तकें!

इसी तरह ईसाई धर्म की पवित्र पुस्तक है 'पवित्र बाइबिल'



पवित्र बाइबिल को लेकर आज समाज में बहुत सी भ्रांतियाँ व्याप्त है, जिन्हें दूर करना आज समाज के लिये अति आवश्यक हो चुका है!

और इन भ्रांतियों को दूर करने का बीडा वर्तमान समय में एक मात्र तत्वदर्शी संत 'जगत गुरू रामपाल जी महाराज' जी ने ही उठाया है और पवित्र बाइबिल में छुपे गुढ रहस्यों को सर्व भक्त समाज के समक्ष किया है!

आइऐ हम भी संत रामपाल जी महाराज के विचारों पर एक नजर डालते हैं 👇👇


"पवित्र ईसाई धर्म का परिचय"

देवता से गर्भवती हुई मरियम ने ईसा जी को जन्म दिया।

ईसा जी से पवित्र ईसाई धर्म की स्थापना हुई।

उनके नियमों पर चलने वाले भक्त आत्मा ईसाई कहलाए, और यही से पवित्र ईसाई धर्म का उत्थान हुआ।

(पवित्र बाईबल मती रचित सुसमाचार मती=1ः25 पृष्ठ 1-2)



"क्या परमात्मा निराकार है?

जी नहीं ; ईसाई धर्म की सबसे बडी मान्यता है कि परमात्मा निराकार है जो कभी किसी को दिखाई नहीं देता! 

परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं है , इसके लिए हम पवित्र बाइबिल में ही प्रमाण देखते है 👇👇

पवित्र बाइबिल (उत्पत्ति ग्रंथ) अध्याय 1 पृष्ठ संख्या 1, 27 वें  वाक्य में स्पष्ट लिखा है कि

"परमेश्वर ने मनुष्य को अपने स्वरूप के अनुसार उत्पन्न किया।
नर और नारी करके परमेश्वर ने मनुष्यों की सृष्टि की।"

इससे सिद्ध है कि प्रभु भी मनुष्य जैसे शरीर युक्त है तथा छः दिन में सृष्टी रचना करके सातवें दिन तख्त पर जा विराजा।




"क्या माँस खाना परमेश्वर का आदेश है?"

जी नहीं ; ये बात बिल्कुल असत्य और निराधार है क्योंकि जिस परमेश्वर ने सब सृष्टि की रचना की और सब जिवों को उत्पन्न करने वाला भी वही परमात्मा है तो वे परमेश्वर हमें एक दूसरे का माँस खाने का आदेश कैसे दे सकते है,

अर्थात् एक पिता अपने बच्चों को आपस में मारने का आदेश कभी नहीं दे सकता!

पिता को अपने छोटे बेटे के मरने का उतना ही दुःख होता है जितना की बड़े बेटे की मृत्यु का!

इसका प्रमाण भी देखिए 👇👇👇

पवित्र बाईबल (उत्पत्ति ग्रन्थ 1:29)

प्रभु ने मनुष्यों के खाने के लिए जितने बीज वाले छोटे पेड़ तथा जितने पेड़ों में बीज वाले फल होते हैं वे भोजन के लिए प्रदान किए हैं, माँस खाना नहीं कहा है।


उत्पत्ति ग्रन्थ 1:28

परमेश्‍वर ने उन्‍हें यह आशिष दी,

‘फलो-फूलो और पृथ्‍वी को भर दो, और उसे अपने अधिकार में कर लो। समुद्र के जलचरों, आकाश के पक्षियों और भूमि के समस्‍त गतिमान जीव-जन्‍तुओं पर तुम्‍हारा अधिकार हो।’

अतः सिद्ध है कि परमात्मा ने मांस खाने का आदेश नहीं दिया।




"तो माँस खाने का आदेश किसने और क्यों दिया?"

जैसा कि पूर्व में विदित है 'पवित्र बाईबल' के उत्पत्ति ग्रंथ पृष्ठ 1 से 3 में लिखा है कि परमेश्वर ने 6 दिन में सृष्टि की सातवें दिन सिंहासन पर विराजमान हो गए। 

परन्तु 👇👇

फिर आगे बाईबल में काल का जाल शुरू हो गया और सबको काल ने अपने जाल में फंसाने के लिए परमेश्वर के ज्ञान में मिलावट कर दी।


पवित्र बाईबल कुरिन्थियों 2ः12-18 पृष्ठ 259-260 में सपष्ट है कि 

फरिश्ता कह रहा है कि प्रभु महिमा रूपी सुगंध फैलाने के लिए प्रेत की तरह प्रवेश करके प्रभु हमारा ही प्रयोग किसी मसीह में करता है।

चमत्कार करते हैं फरिश्ते, और नाम होता है नबी का। 

भोली आत्माऐं काल के भेजे नबी को पूर्ण शक्ति युक्त मानकर उसी के अनुयाई बन जाते हैं, उसके मार्ग पर दृढ़ हो जाते हैं।

जब पूर्ण परमात्मा का संदेशवाहक आता है तो उसकी बातों पर अविश्वास करते हैं। यह काल का जाल है।

मसीह (नबी) में अन्य आत्मा भी बोलते हैं जो अपनी तरफ से मिलावट करके भी बोलते हैं।

"यही मुख्य कारण है कि कुआर्न शरीफ (मजीद) तथा बाईबल आदि में माँस खाने का आदेश अन्य आत्माओं का है, प्रभु का नहीं है।"

इसके अलावा भी बाइबिल में एक से अधिक प्रभुओं के ज्ञान के प्रमाण मिलते हैं, जिन्होंने परमेश्वर के मूल ज्ञान में मिलावट कर दी और भोली भाली जनता को भ्रमित किया है  👇👇

पवित्र बाइबिल में एक से अधिक प्रभुओं का प्रमाण (उत्पत्ति 3:22)

"यहोवा प्रभु ने कहा मनुष्य भले-बुरे का ज्ञान पाकर हम में से एक के समान हो गया है।"

उत्पत्ति अध्याय 18:1-10, अध्याय 19:1-25 में तीन प्रभुओं का प्रमाण है।

इस प्रकार हम कह सकते है कि ईसाई धर्म हो या अन्य कोई धर्म इस लोक में लाभ-हानि पहुंचाने वाले तीन देवता ही हैं।

"ब्रह्मा, विष्णु, महेश!"

बाइबिल में अनेक प्रभुओं को देखने के कई प्रमाण हैं।

जैसे अब्राहम को ममरे में तीन पुरुषों का दिखाई देना। उत्पत्ति, 18:1




"पवित्र बाइबिल में काल प्रभु (निरंजन) का जाल"

काल (ब्रह्म) पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बना कर भेजता है। फिर चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति कमाई रहित करवा देता है। 

उसी में कुछ फरिश्तों (देवताओं) को भी प्रवेश करके
कुछ चमत्कार फरिश्तों द्वारा उनकी पूर्व भक्ति धन से करवाता है।

फिर उनको भी शक्ति हीन कर देता है। 

काल यही चाहता है कि उसके भेजे अवतार अन्त में किसी तरह कष्ट प्राप्त करके मृत्यु को प्राप्त हों।

इस प्रकार ब्रह्म (काल/ज्योति निरंजन) के द्वारा भेजे नबियों (अवतारों) की महिमा हो जाती है।

अनजान साधक उनसे प्रभावित होकर उसी साधना पर अडिग हो जाते हैं।

पवित्र बाइबल यूहन्ना ग्रंथ 16:4-15 में भी स्पष्ट है कि

ब्रह्म (काल) यही चाहता है पुण्यात्माओं को अपना अवतार (रसूल) बनाकर भेजता है फिर चमत्कारों द्वारा उसको भक्ति रहित करवा देता है!

अंत मे वह किसी तरह कष्ट प्राप्त करके मृत्यु को प्राप्त होता है! यह सब काल का ही जाल है!





"तो क्या ईसा मसीह (यीशु) जी पूर्ण परमात्मा है?"

पवित्र बाइबिल को ध्यान से पढने पर पता चलता है कि यीशु तो मात्र एक संदेश वाहक ही है, असली परमात्मा तो कोई और ही है जिसका ज्ञान केवल तत्वदर्शी संत ही करवा सकते हैं!

और वे तत्वदर्शी संत वर्तमान में आये हुऐ है और उनका नाम "जगत गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज" है!

संत रामपाल जी द्वारा पूर्ण प्रभु के विषय में दी गई जानकारी 👇👇


चुँकी हजरत ईसा मसीह की मृत्यु 30 वर्ष की आयु में हुई जो पूर्व ही निर्धारित थी।

स्वयं ईसा जी ने कहा कि मेरी मृत्यु निकट है तथा तुम शिष्यों में से ही एक मुझे विरोधियों को पकड़वाएगा और वो मुझे मार देंगे।

ईसा जी की मृत्यु असहनीय पीड़ा से हुई। मृत्यु से पहले हजरत ईसा जी ने उच्चे स्वर में कहा -

"हे मेरे प्रभु! आपने मुझे क्यों त्याग दिया ?"

(पवित्र बाईबल मती 27 तथा 28/20 पृष्ठ 45 से 48)।

इससे सिद्ध है हज़रत ईसा जी ने कोई चमत्कार नहीं किया ये सब पहले से ही निर्धारित था। 

हज़रत ईसा जी किसी को सुखी नहीं कर सकते थे। जिनको सुख हुआ था वो पहले से ही निर्धारित थे।

ईसा जी के चमत्कारों में लिखा है कि एक प्रेतात्मा से पीड़ित व्यक्ति को ठीक कर दिया।

काल ही किसी प्रेत, पित्तर को प्रेरित करके किसी के शरीर में प्रवेश करवा देता है, अपने भेजे नबी के पास भेजकर किसी फरिश्ते को नबी के शरीर में प्रवेश करके उसके द्वारा प्रेत को भगा देता है महिमा बनाने के लिए।

यीशु का जन्म-मरण, चमत्कार सब ब्रह्म (काल) के द्वारा निर्धारित थे।

पवित्र बाईबल यूहन्ना 9:1-34 में है कि

एक अंधे व्यक्ति को यीशु ने स्वस्थ कर दिया। यीशु बोले इसका कोई पाप नहीं, यह इसलिए हुआ कि प्रभु की महिमा प्रकट करनी थी।

यदि पाप होता तो यीशु उसकी आंखें ठीक नहीं कर सकते थे।




"तो फिर पूर्ण परमेश्वर कौन हैं?"


ईसा जी को पूर्ण परमात्मा सत्यलोक से आकर मिले तथा एक परमेश्वर का मार्ग समझाया।

इसके बाद ईसा जी एक ईश्वर की भक्ति समझाने लगे। लोगों ने बहुत विरोध किया।

फिर भी वे अपने मार्ग से विचलित नहीं हुए। परन्तु काल के फरिश्ते उनको विचलित करते रहे, वास्तविक ज्ञान को दूर रखा।

पूर्ण परमात्मा ही भक्ति की आस्था बनाए रखने के लिए स्वयं प्रकट होता है।

पूर्ण परमात्मा ने ही ईसा जी की मृत्यु के पश्चात् ईसा जी का रूप धारण करके प्रकट होकर ईसाईयों के विश्वास को प्रभु भक्ति पर दृढ़ रखा।

यदि पूर्ण परमात्मा ईसा जी का रूप धारण करके प्रकट नहीं होते तब ईसा जी के पूर्व चमत्कारों को देखते हुए ईसा जी का अंत देखकर कोई भी व्यक्ति भक्ति साधना नहीं करता, नास्तिक हो जाते।
(प्रमाण पवित्र बाईबल में यूहन्ना 16: 4-15) 

और ब्रह्म(काल) यही चाहता है।



"पूर्ण परमात्मा 'कबीर साहेब जी' है"

जी हाँ, आपने सही पढा है पूर्ण परमात्मा कोई और नहीं अपितु स्वयं कबीर जी ही है!

संत रामपाल जी महाराज द्वारा इसके अनेकों प्रमाण दिये गये है! आइऐ पवित्र बाइबिल में प्रमाण देखते हैं 👇👇


पवित्र बाइबल में भगवान का नाम कबीर है - अय्यूब 36:5। यहां स्पष्ट है की कबीर ही शक्तिशाली परमात्मा है।


अय्यूब 36:5 (और्थोडौक्स यहूदी बाइबल - OJB)

परमेश्वर कबीर (शक्तिशाली) है, किन्तु वह लोगों से घृणा नहीं करता है।
परमेश्वर कबीर (सामर्थी) है और विवेकपूर्ण है।


ईसा मसीह की मृत्यु के तीसरे दिन स्वयं पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही आये थे भक्ति की लाज रखने के लिए।

पूर्ण परमात्मा जन्म मृत्यु से परे है, वह न तो माँ के गर्भ से जन्म लेता न ही उसकी मृत्यु होती है।

जबकि ईसा मसीह जैसी पवित्र आत्मा की भी दर्दनाक मृत्यु हुई।

फिर आम इंसान का कैसे बचाव हो सकता है।

केवल पूर्ण परमात्मा कबीर जी ही अवविनाशी हैं, मोक्षदायक प्रभु हैं।

ईसा मसीह तो परमात्मा के पुत्र थे। 

पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब ही सबके पिता हैं, उत्पत्ति कर्ता हैं।

वही असली माता-पिता,भाई बंधु हैं। वह काल की तरह कभी धोखा नहीं देते।



इन सब बातों का ज्ञान हमें केवल संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं!

संत रामपाल जी महाराज ही विश्व में एकमात्र ऐसे संत है जो शास्त्रों, वेदों, गीता जी, पवित्र कुरान शरीफ, पवित्र बाइबिल, गुरु ग्रंथ साहेब जी में वर्णित साधना को स्वयं भी कर रहे है और अपने अनुयायियों से भी करवा रहे हैं!

अतः आप सभी से करबध निवेदन है कि आप भी एक बार संत रामपाल जी महाराज का सत्संग अवश्य सुने 👏


अधिक जानकारी के लिए अवश्य देखे 'साधना' चैनल शाम 7:30 बजे से!

और अवश्य पढ़ें पुस्तक जीने की राह एवं ज्ञान गंगा बिल्कुल निःशुल्क 

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Comments

  1. Amazing spiritual knowledge in the world of sant rampal ji maharaj ❣🤷‍♀️

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  2. Really true knowledge in the world in Kabir God 🥰🥰🥰👌👌🤷‍♀️

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