देखो रे लोगो भुल भुलैया का तमाशा शब्द वाणी, संत रामपाल जी महाराज जी द्वारा
देखो रे लोगो... देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा -३ 1. बालापन में ज्ञान नही था, जवानी में ओढ़या खासा -२ काल बलि का लग्या झपेटा, तेरी हुई सांस में सांसा, देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा... 2. भाई, जीवे जतरे माता रोवे, बहन रोवे दस मासा -२, तेरह दिन तेरी तिरिया रोवे, फेर करे घर वासा, देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा... 3. भुजा पकड़ तेरा भाई रोवे, शीश पकड़ तेरी माता -२ चरण पकड तेरी तिरिया रोवे, तोड़ चल्या क्यूँ नाता, देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा... 4. भाई, ड्योढ़ी तक तेरी तिरिया का नाता, फलसे तक तेरी माता -२ मरघट तक ये लोग नगर के, फिर हंस अकेला जाता, देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा... 5. हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी रे, केश जले ज्यूँ घासा -२ सोने जैसी काया जल गई, कोई ना आया पासा, देखो रे लोगो भूल भुलैयो का तमाश्श्शा... 6. नो दस मास गरब के अंदर करता नरक निवासा-२ बाहर आकर भूल गया, तुम चाहे भोग विलासा, देखो रे लोगो भूल भुलैया का तमाश्श्शा... 7. खाट्टा रे मीठा भोजन चाहिए, वस्तर चहिए खासा-२ जम के दूत पकड़ ले जावे, डाल गले में फांसा, देखो...
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