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Showing posts from July, 2020

कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा ?

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कैसे शुरू हुई कांवड़ यात्रा ?            - फायदा और नुकसान  कावड़ यात्रा शिव के भक्तों का एक वार्षिक तीर्थ है, जिसे करने वाले श्रद्धालुओं को कांवड़िया या "भोले" के नाम से जाना जाता है, हरिद्वार, गौमुख और गंगातट के जो हिंदू तीर्थस्थान हैं आदि से गंगा नदी के पवित्र जल को लाखों श्रद्धालु इकट्ठा करते हैं और इसे सैकड़ों मील दूर तक अपने स्थानीय शिव मंदिरों या महादेव और औघड़नाथ मंदिरों, काशी विश्वनाथ, बैद्यनाथ, और महादेवघरों में प्रसाद के रूप में वितरित करने के लिए ले जाते हैं। इस क्रिया में श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवड़िये सुदूर स्थानों से पदयात्रा करके गंगा जल से भरी कांवड़ लेकर आते है और श्रावण की चतुर्दशी के दिन उस गंगा जल से शिव मंदिरों में शिव जी का अभिषेक किया जाता है।  इसके आधार पर, कांवड़ धार्मिक प्रदर्शनों की एक शैली को संदर्भित करता है, जहां से श्रद्धालु पवित्र गंगा नदी से पानी ले जाते हैं।   यद्यपि कांवड़ का ग्रंथों में एक संगठित उत्सव के रूप में उल्लेख नहीं है, लेकिन यह घटना निश्चित रूप से 19वीं सदी की शुरुआत में हुई होग...

Who Is Real Human? वास्तव में मनुष्य कौन है?

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वास्तव में मानव कहलाने योग्य कौन है ? आज हम हमारे समाज को देखे तो पायेंगे कि मानव में मानवता का धीरे-धीरे ह्रास होता जा रहा है। मानव की शारीरिक, मानसिक, सामाजिक, भौतिक, एवं आध्यात्मिक स्थिति दिनों दिन घटती ही जा रही है।  सब सांसारिक मोह-माया और पैसा कमाने के पीछे इतने गिर चुके है कि भ्रष्टाचारी, रिश्वतखोरी, चोरी, डकैती आदि गैर कानूनी अपराध करने से भी नहीं डरते है।  वर्तमान में मनुष्यों में वासना, तृष्णा, लालसा की भुख इतनी बढ गई है कि समाज में हर समय चोरी करना, व्याभिचार, नशे करना, माँस खाना, बलात्कार, हत्या, दहेज हत्या, गाली गलौज, लड़ाई झगड़ो आदि जैसी कोई ना कोई नीच घटना घटित हो ही रही है! ये ऐसे अपराध है जिन्हें सुनने मात्र से एक बार तो अच्छा भला इंसान भी अंदर तक सिहर उठे तो सोचिए ऐसे अपराधों को करने वाले क्या मानव कहलवाने के भी लायक है? उनकी प्रवृत्ति तो अब असुर स्वभाव वाली हो चुकी है! ऐसे मनुष्यों को अगर कलियुगी राक्षस भी कहा जाये तो भी कम ही लगता है! आज के समय में कोई संतुष्ट नहीं हैं। अनादि काल से ही मानव परम शांति, सुख व अमृत्व की खोज में लगा हुआ है। वह अपने सामर्थ्य के ...

अच्छे समाज का निर्माण (Samaj Nirmaan)

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आईए करें निर्माण : स्वस्थ और अच्छे समाज का   आज हमारे समाज में काफी बुराइयाँ व्याप्त हो चुकी हैं जिन्हें समाज से समाप्त करने में ही समाज और समाज के नैतिक मूल्यों को बचाया जा सकता हैं! आज हम ऐसी ही समाज में फैली कुरीतियों एवं इन्हें समाप्त करने के बारे में विचार विमर्श करेंगे! नशा करता है नाश नशा, वर्तमान समय में एक बहुत बड़ी समस्या है! आज लाखों करोड़ों घर नशे के कारण तबाह हो रहे है! नशा छोटे छोटे बच्चों से लेकर बड़े बुजुर्गों तक को अपनी गिरफ्त में ले रहा हैं!  नशे से तन, मन और धन की हानि होती हैं! नशा चाहे जैसा भी हो (शराब, तम्बाकू, अफीम, गांजा, सुल्फा, हुक्का आदि)  की लत अगर लग जाये तो इस से बच पाना बहुत मुश्किल है! दहेज लेना महापाप है! वर्तमान समय में अगर एक पिता को अपनी बेटी के हाथ पिले कर उसे विदा करना है तो उस पिता को शादी की तैयारी से पहले दहेज का प्रबंध करना पडता है! क्योंकि आज समाज में दहेज प्रथा का चलन इतना बढ चुका है कि कम दहेज देने पर दुल्हन को मरने तक के लिए मजबूर कर दिया जाता हैं! अर्थात् दहेज प्रथा भी समाज में एक बुराई है जिसका जहर लड़की और लड़की के परिवार क...